भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्यों पर बोलें डॉ एल पी उपाध्याय

असफलता आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत को भूलनें पर होती हैं ” डी ए वी कॉलेज में ” भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्यों ” पर बोलें डी ए वी यूनिवर्सिटी के ह्यूमन वैल्यूज़ एंड एथिक्स विभाग से डॉ एल पी उपाध्याय

डी ए वी कॉलेज में संस्कृत विभाग द्वारा भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्य पर गेस्ट लेक्चर करवाया गया| मुख्य वक्ता थे डी ए वी यूनिवर्सिटी के ” ह्यूमन वैल्यूज़ एंड एथिक्स विभाग ” से डॉ एल पी उपाध्याय, जिनका स्वागत कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस के अरोड़ा , विभाग की मुखी प्रो विजय कुमारी गुप्ता,प्रो जीवन आशा, प्रो टीना वेद और प्रो विवेक शर्मानें किया|

अपने भाषण नें डॉ एल पी उपाध्याय नें कहा, नैतिक और मानवीय मूल्य, भारतीय संस्कृति की पहचान, पुरखों से विरासत में मिली अनमोल धरोहर हैं ये सम्पूर्ण विश्व में भारत की पहचान का प्रतीक है “नैतिकता”, लेकिन कहते हुए बेहद अफ़सोस होता है, की आज की हमारी नई एवं आधुनिक पीढ़ी, इस बेशकीमती धरोहर को खोती जा रही है.

उन्होनें आगे कहा, युवाओं का रूखा व्यवहार, बड़ों के प्रति अनादर, मनमानी यह सब दर्शाता है कि युवाओं में नैतिक मूल्यों का स्तर इस हद तक गिर चुका है । यह कहते हुए भी लज्जा आती है के जिन बूढ़े माँ- बाप ने पाल पोस कर बड़ा किया वही माँ- बाप आज बच्चों पर बोझ हैं। मोबाइल फ़ोन में युवा इतने ध्यान मग्न हैं की मेल मिलाप के लिए वक़्त ही कहाँ? और रिश्ते तो आजकल फेसबुक पर बनते हैं तो गर्मजोशी का कोई सवाल ही नहीं उठता|

डॉ एल पी उपाध्याय नें कहा कैसी विडम्बना है ? जिस भूमि पर “मर्यादा पुरुषोत्तम” श्री राम और अर्जुन जैसे “महान शिष्य” का जन्म हुआ उसी धरा पर आज हर दूसरे क्षण मर्यादा लांघी जा रही है, आये दिन गुरुओं को अपमानित किआ जाता है, कितना दुर्भाग्यपूर्ण है यह सब, वार्ता में आगे डॉ उपाध्या नें कहा ” असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं “और कड़वा सच तो देखिये हमारे आज के युवाओं को तो “आदर्श” ,”उद्देश्य” और “सिद्धांत” का मतलब भी ज्ञात नहीं और उनकी इसी अनैतिकता के चलते हर रोज़ समाज पतन की नई गहराईयाँ नाप रहा है।

अपनें भाषण के अंत में डॉ उपाध्याय नें कहा, ज़रूरत है युवाओं पर दोष मढ़ने की बजाय आगे बढ़ने की और कुछ सार्थक कदम उठानें की, हमें ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने बच्चों के साथ युवाओं के साथ व्यतीत करना चाहियें, उन्हें उचित मार्गदर्शन देकर देश के सांस्कृतिक गौरव से अवगत कराएं और युवाओं को भी आवश्यकता है समझने की अपने आप को और अपने देश को, पाश्चात्य रंगो में रंगने के बजाय अपनी पहचान बनाने के प्रयत्न करें।

इस मौके पर हिंदी विभाग के मुखी डॉक्टर उषा उप्पल, डॉ बलविंदर, डॉ मीनु तलवार, संगीत विभाग से हिमा शर्मा भी मौजूद थे।

 

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