शाँतिपूर्ण, लोकतांत्रिक तथा स्थिर पाकिस्तान ही भारत के हित में है तथा दोनों देशों को नियंत्रण रेखा पर युध्दविराम उल्लंघन जो सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगाड़ती है, करने की बजाय आपसी शाँति को पोषित करना चाहिए |”
-पूर्व भारतीय उच्चायुक्त शरत सभ्रवाल
दोनों देशों के विशेषज्ञ एक बात से सहमत ज़रूर हैं और वो ये है कि हमलों और बाधाओं के बावजूद बात-चीत जारी रखनी चाहिए ताकि रिश्तों में सालों के उतार-चढ़ाव को स्थिर करके दक्षिण एशिया में शान्ति का एक ठोस माहौल बनाया जाए।
-पूर्व भारतीय उच्चायुक्त शरत सभ्रवाल
हमें समझना होगा कि हमारे पड़ोसी ऐसे हैं जिनके साथ हमारा इतिहास साझा है और निश्चित रूप से हममें एक दूसरे के साथ आर्थिक औऱ दूसरे रिश्ते बनाने की क्षमता है.
-पूर्व भारतीय उच्चायुक्त शरत सभ्रवाल
यह हमारे कॉलेज के लिए गर्व की बात है की श्री शरत , डी ए वी कॉलेज के पूर्व विद्यार्थी रह चुके हैं , तथा उनकी मौजूदगी हमारे लिए एक त्यौहार के समान है
– डॉ बी बी शर्मा
दशको से चलती आ रही अमन और भाईचारे की कोशिश आगे भी ऐसे ही चलती रहे जब तक प्यार और दोस्ती से दोनों मुल्क ना रहें
– श्रीमती माधुरी सोंधी
आगे शरत मेरी कक्षा में बैठ कर मेरी बताई बातें सुना करता था, आज मैं सामने बैठ कर शरत के विचारों को सुनूंगा, मेरे कहने पर शरत ने एम ए पोलिकल साइंस में एडमिशन ली
– प्रो डॉ के के घई
डी ए वी कॉलेज और एम एल सोंधी मेमोरियल ट्रस्ट, नई दिल्ली ने श्री ऍम एल सोंधी जी की समृति में संयुक्त रूप से एक भव्य संगोष्ठी आयोजित करवाई जिसके मुख्या अतिथि पाकिस्तान में पूर्व भारतीय राजदूत( २००९-२०१३) और कॉलेज के पूर्व छात्र ” शरत सभ्रवाल शामिल हुए ”
इस संगोष्ठी का अहम विषय था “भारत पाकिस्तान सम्बन्ध , चुनौतियाँ एवं भविष्य” .
श्री शरत सभ्रवाल, श्रीमती माधुरी सोंधी जी, श्री रमेश कुमार , श्री कुंदन लाल अग्रवाल का भव्य स्वागत प्रिंसिपल डॉ बी बी शर्मा , डॉ अश्वनी शर्मा, प्रो श्री शरद मनोचा , प्रो श्री दिनेश ने पुष्पों का हार व् खूबसूरत गुलदस्ता भेंट करके किया, जिसके उपरांत दीप प्रज्वल्लित कर , “तमसो माँ ज्योतिर्गमय ” को पूर्ण किया गया।
श्री शरत सभ्रवाल भारतीय विदेश सेवा में 1975 में शामिल हुए थे , तथा उन्होनें परमानेंट मिशन ऑफ़ इंडिया इन यूनाइटेड नेशंस, जिनेवा में बड़े ओहदों पर अपनी सेवायों दी। श्री शरत मेडागास्कर , फ्रांस और मॉरिशस में मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स में1990 से 1995 तक संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं। श्री शरत भारत के पाकिस्तान में डिप्टी हाई कमिश्नर (1995 – 1999 ) भी रहे, उज़्बेकिस्तान में 2002 से 2005 के दौरान राजदूत भी रह चुके हैं तथा मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स के 2005 से 2009 तक अपर सचिव भी रह चुके हैं। श्री शरत ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को विभिन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
प्रिंसिपल डॉ बी बी शर्मा नें इस उपलक्ष्य में श्री शरत सभ्रवाल का वागत करते कहा , ” यह हमारे कॉलेज के लिए गर्व की बात है की श्री शरत , डी ए वी कॉलेज के पूर्व विद्यार्थी रह चुके हैं , तथा उनकी मौजूदगी हमारे लिए एक त्यौहार के समान है “. डॉ शर्मा नें बताया, श्री शरत नें कॉलेज से 1968 से लेकर 1972 के बीच बी ए (इकोनॉमिक्स ऑनर्स) और पोलिटिकल साइंस में मास्टरी की। अपने समक्ष अत्यंत गौरवमय और उत्कृष्ट शख्सियत की मौजूदगी कॉलेज के लिए बहुत ही प्रसन्नता का विषय है। भारत पाकिस्तान के रिश्तो पर बात करते हुए डॉ शर्मा ने कहा “यह दोनों मुल्को की अवाम के दिलों में एक दूसरे के लिए भरपूर प्रेम है , मगर कुछ सियासी दूरियों एवं मुद्दो के कारण, हमेशा शीत युद्ध रहता है , मगर मैं यही आशा करता हूँ की जल्द ही अमन के लहर हम दोनों मुल्को में दौड़े , तथा रिश्तो में जो खटास है , वह मिठास में बदले तथा उन्होंने कहा की पाकिस्तान ऐसा पड़ोसी है जिसे ना हम छोड़ सकते हैं ना ही हम पूर्ण विश्वास कर सकते हैं “
इस मौके पर श्री एम एल सोंधी जी की पत्नी श्रीमती माधुरी सोंधी जी ने श्री एम एल सोंधी जे के बारे में विश्ठर से बताया , तथा कहा की श्री ऍम एल सोंधी ज़िन्दगी के हर पहलु में प्रथम और पूर्ण तौर पर सक्षम रहे , तथा वह एक जबरदस्त शिक्षक , दूत एवं करिश्माई बौद्धिक शख्सियत रहे हैं , तथा वह एक संसद भी रहे हैं। श्री ऍम एल सोंधी एक बहुत ही प्रतिष्ठित भरपूर रूप से हरफनमौला एवं उत्कृष्ट शख्सियत रहे। उन्होंने कहा की एम एल सोंधी जी के आपार योगदान को ध्यान में रखते हुए ऍम एल सोंधी मेमोरियल ट्रस्ट हर साल ऍम एल सोंधी प्राइज फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स देती है .वह एक असाधारण दृष्टि और उत्कृष्ट शख्सियत वाले इंसान थे,जो एक सच्चे देश भक्त थे , तथा हमेशा अपने देश की सेवा में लगे रहे। उन्होंने अपने इकोनॉमिक्स और लॉ की डिग्री पंजाब यूनिवर्सिटी से प्राप्त की , तथा इन्हें अपार दृष्टि व् बुद्धि की बदौलत रोडेज स्कॉलर फॉर ऑक्सफ़ोर्ड चुना गया तथा यू पी अस सी के पेपर में इनको प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। श्री एम एल सोंधी इंडियन फॉरेन सर्विसेज में बतौर 6 साल तक रहे तथा जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।श्री एम एल सोंधी लोक सभा के मेंबर भी नियुक्त हुए तथा भारतीय जनता पार्टी के नेता भी रहे।
पाकिस्तान के बारे में श्रीमती सोंधी ने कहा की दशको से चलती आ रही अमन और भाईचारे की कोशिश आगे भी ऐसे ही चलती रहे जब तक प्यार और दोस्ती से दोनों मुल्क न रहे।
प्रो के के घई जी , जो की श्री शरत सभ्रवाल जी के डी ए वी कॉलेज में उस दौर में प्रोफेसर रहे हैं, उन्होंने बताया कैसे श्री शरत अपनी पढ़ाई को लेकर कितनी मेहनती थे , व् दूरदर्शी थे। उन्होंने बताया की कैसे वे उनका हर लेक्चर लगाते थे तथा उनके द्वारा बोला गया हर शब्द वह कैसे अपनी कॉपी में नोट करते थे , तथा लाइब्रेरी उनकी मनपसंद जगह होती थी , जहाँ वह किताबो को अपना दोस्त बनाकर रखते थे।उन्होंने बताया के मुझे विश्वास था हमेशा से की शरत जी बहुत ऊँचा मुकाम हासिल करेंगे तथा आज उनको इतना सफल देख , रूह को सुकून मिलता है , तथा वह अपनी शख्सियत से दुसरो के लिए उदहारण भी हैं . “मुझे गर्व है आप पर “.
श्री शरत सभ्रवाल ने इस मौके पर कहते हुए बोला की यह एक बहुत ही संवेदनशील “वचनबध्दता छोड़ कर कट्टर राष्ट्रवाद पर वाकपटुता पाकिस्तानी उत्तेजना पर विराम नहीं लगाता, बल्कि आँतकवाद से उनके द्विपक्षीय रिश्तों को सुनिश्चितता प्रदान कर उनकी कमज़ोर सुरक्षा हालातों का उदाहरण पेश करता है।
शाँतिपूर्ण, लोकतांत्रिक तथा स्थिर पाकिस्तान ही भारत के हित में है तथा दोनों देशों को नियंत्रण रेखा पर युध्दविराम उल्लंघन जो सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगाड़ती है, करने की बजाय आपसी शाँति को पोषित करना चाहिए। यह अति आवश्यक है कि शाँति प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक बहाल किया जाना चाहिए तथा उसको भंग होने से रोकने के लिए ठोस कदम भी उठाए जाने चाहिए |”
आगे नियंत्रण रेखा पर युध्दविराम उल्लंघन के बारे में ज़िक्र करते हुए श्री सभ्रवाल ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं तनाव को बढ़ावा देती हैं दो राष्ट्रों के मैत्रीपूर्ण माहौल को भी अस्थिर बनाती है | माननीय सभ्रवाल जी ने उजागर किया कि हॉटलाइन पर दोनों पक्षों के सैन्य संचालन के निदेशकों की बातचीत के बाद दोनों देश एक द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से इस समस्या को हल करने के पर सहमत हुए, जो कि पहले से ही प्रचलन में था और जिससे स्थिति में बहुत सुधार भी हुआ। पाकिस्तान का अहम मुद्दा रहा है “कश्मीर “, जिसके ऊपर आये दिन बहस चिढ़ती रहती है।
इस मुद्दे पर सभ्रवाल जी ने अपनी राय देते हुए कहा,” पाकिस्तानी गोलियों का सामना करते हुए हमारे पास जवाबी करवाई करने के इलावा और कोई विकल्प नहीं था हालांकि सामान्य तौर पर पाकिस्तान से सूक्ष्म खतरों का मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार रखना हमारे हित में होगा।
पाकिस्तानी उत्तेजना को हमारी मीडिया द्वारा कट्टर राष्ट्रवादी वाकपटुता में जवाब देना अंत में हमें काई लाभ नहीं देता। हमारी बढ़ती ताकत को हमारे शत्रुओं ने भी महसूस किया है। भाषा की धमकी पाकिस्तान में कुछे एक को सोचने पर मजबूर कर देती है जो रचनात्मक ढंग से भारत के साथ सुरक्षा संबंधों के बारे में सोच विचार पर एक अच्छी सोच है। जब तक उनके अंदर से आवाज़ नहीं आती तब तक पाकिस्तान अच्छे रिश्ते कायम करने के लिए सकारात्मक कदम नही उठाएगा। हम व्यपरक रिश्ते कायम करते रहंगे , क्यूंकि व्यापर से अच्छे रिश्तो की नीव राखी जा सकती है।
आगे उन्होंने कहा की , भारत पाकिस्तान के तुलनात्मक बहुत ही सफल और ताकतवर देश है , पर पाकिस्तान अपनी नुक्लेअर पावर को इठलाने की अहम गलती करता रहा है , भारत एक शांति प्रिये देश है , तथा हम पूर्ण कोशिश करते आये हैं ७० सालो से की रिश्तो में मधुरता आये, क्यूंकि न तो हम पाकिस्तान को पूरी तरह नकार सकते हैं ना ही नज़रअंदाज़ , बेहतर यह रहेगा की इस मुद्दे पर हम थोड़ा सवेदनशील रहे।
श्री शरत ने कहा, भारत-पाकिस्तान के रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं।बात चीत का सिलसिला शुरू होता है. फिर कोई घटना हो जाती है या कोई ग़लत फ़हमी हो जाती है, फिर वार्ता टूट जाती है, इसके बाद एक बार फिर से ये सिलसिला शुरू होता है और एक बार फिर से कोई क़िस्सा हो जाता है और कोशिशें स्थगित करनी पड़ती हैं।1980 के दशक में दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार के आसार नज़र आए थे लेकिन 1989 में कश्मीर में सशस्त्र उग्रवाद के शुरू होने से शान्ति भंग हुई और कई सालों तक रिश्तों में सुधार न हो सका। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शान्ति का हाथ बढ़ाया, लाहौर और अमृतसर के बीच बसें भी चलने लगीं, लेकिन फिर करगिल हो गया। दोनों तरफ यह समझना होगा कि हमारे पड़ोसी ऐसे हैं जिनके साथ हमारा इतिहास साझा है और निश्चित रूप से हममें एक दूसरे के साथ आर्थिक औऱ दूसरे रिश्ते बनाने की क्षमता है।
अंत में श्री शरत नें कहा, पाकिस्तान और भारत दोनों देशो के अवाम दिल से चाहती है की दोनों मुल्को के अतिरिक्त रिश्तो में मिठास आये , और मधुरता व् अमन का प्रचार हो , दोनों देशो के मौजूदा सरकार भी यही चाहती हैं , तथा ठोस कदम भी उठा रही हैं . यह दूरियों का सिलसला सिर्फ कुछ सियासी मुद्दो के कारण है , वर्ना भारत पाकिस्तान दोनों ही एक ही सभ्याचार के प्रतीक हैं . सिर्फ कुछ एक मुद्दो के कारन यह दूरियां हैं , जिन्हे सुलझाने की हमेशा से कोशिश हो रही है, तथा इस दिशा में सबसे बड़ा कदम बिलटेरल ट्रेड को बढ़ावा देना है , ट्रेड से दोनों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे तथा भरोसा कायम रहेगा , तथा उम्मीद पूरी है आने वाले सालो में दोनों में दोस्ती का रिश्ता मजबूत होगा , तथा इसके लिए आपसी बातचीत ही अनिवार्य है , किसी और के दखलंदाज़ी की कोई आव्यशकता नही है . लोगो के बीच संचार को बढ़ावा देकर हम रोशतो को मजबूत कर सकते हैं , तथा इक ट्रांजिट कंट्री के तौर पर , काम करके हम भविष्ये में रिश्तो को नयी दिशा देने में कामयाब हो सकते हैं। आज हम जमीनी मतभेदों को भूलाकर, विकास पर ध्यान केन्द्रित करें, तो हमारे युवाओं को एक नई दिशा और जीवन मिल सकता है. लेकिन आज दुर्भाग्य यह है कि कुछ राजनैतिक और आतंकवादी ताकतें भी हमें एक साथ नहीं आने देना चाहती हैं. अगर हम एक होकर आगे बढ़ते हैं, तो इनके पास जो गुमराह करने वाले मुद्दे हैं वह सभी खत्म हो जायेंगे और इनका अस्तित्व भी मिट जायेगा. युवाओं की जरूरत है कि वह अपने भविष्य का उचित सृजन करें. क्या आपने कभी यह सोचा है कि हिंदुस्तान एवं पाकिस्तान एक साथ मिलकर विकास की राह पर चलने लगें तो क्या हो सकता है? दोनों देशो के पास अपार क्षमता है, जिससे हम अपनी बुनियादी सुविधाओं को पूर्ण कर, अपने भविष्य का उज्जवल निर्माण कर सकते हैं।