भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्य पर बोलें डॉ राम प्रसाद शर्मा

"असफलता आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत को भूलनें पर होती हैं " डी ए वी कॉलेज में भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्य पर बोलें डॉ राम प्रसाद शर्मा

डी ए वी कॉलेज में संस्कृत विभाग द्वारा भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्य पर गेस्ट लेक्चर करवाया गया| मुख्य वक्ता थे डॉ राम प्रसाद शर्मा पूर्व सदस्य, हिन्दी सलाहकार समिति- मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार, जिनका स्वागत कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ बी बी शर्मा, विभाग की मुखी प्रो विजय कुमारी गुप्ता,प्रो जीवन आशा और प्रो ऋतु तलवार नें किया|

अपने भाषण नें डॉ राम प्रसाद नें कहा, नैतिक मूल्य, भारतीय संस्कृति की पहचान, पुरखों से विरासत में मिली अनमोल धरोहर हैं ये सम्पूर्ण विश्व में भारत की पहचान का प्रतीक है "नैतिकता", लेकिन कहते हुए बेहद अफ़सोस होता है, की आज की हमारी नई एवं आधुनिक पीढ़ी, इस बेशकीमती धरोहर को खोती जा रही है.

उन्होनें आगे कहा, युवाओं का रूखा व्यवहार, बड़ों के प्रति अनादर, मनमानी यह सब दर्शाता है कि युवाओं में नैतिक मूल्यों का स्तर कस हद तक गिर चुका है । यह कहते हुए भी लज्जा आती है के जिन बूढ़े माँ- बाप ने पाल पोस कर बड़ा किआ वही माँ- बाप आज बच्चों पर बोझ हैं | मोबाइल फ़ोन में युवा इतने ध्यान मग्न हैं की मेल मिलाप के लिए वक़्त ही कहाँ? और रिश्ते तो आजकल फेसबुक पर बनते हैं तो गर्मजोशी का कोई सवाल ही नहीं उठता|

डॉ राम नें कहा कैसी विडम्बना है ? जिस भूमि पर "मर्यादा पुरुषोत्तम" श्री राम और अर्जुन जैसे "महान शिष्य" का जन्म हुआ उस ही धरा पर आज हर दूसरे क्षण मर्यादा लांघी जा रही है, आये दिन गुरुओं को अपमानित किआ जाता है, कितना दुर्भाग्यपूर्ण है यह सब, वार्ता में आगे डॉ शर्मा नें कहा
" असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं "| और कड़वा सच तो देखिये हमारे आज के युवाओं को तो "आदर्श" ,"उद्देश्य" और "सिद्धांत" का मतलब भी ज्ञात नहीं और उसकी इस ही अनैतिकता के चलते हर रोज़ समाज पतन की नई गहराईयाँ नाप रहा है।

अपनें भाषण के अंत में डॉ राम नें कहा, ज़रूरत है युवाओं पर दोष मढ़ने के बजाय आगे बड़नें का और कुछ सार्थक कदम उठानें का, हमें ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने बच्चों के साथ युवाओं के साथ व्यतीत करना चाहियें, उन्हें उचित मार्गदर्शन देकर देश के सांस्कृतिक गौरव से अवगत कराएं और युवाओं को भी आवश्यकता है समझने की अपने आप को और अपने देश को, पाश्चात्य रंगो में रंगने क बजाय अपनी पहचान बनाने के प्रयत्न करें|

इस मौके पर हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो के एल सैनी ,प्रो बलविंदर और प्रो उषा उप्पल भी मौजूद थे|

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